फ्लोरोसिस मुक्त राजस्थान के उद्देश्य को लेकर कार्यशाला का आयोजन

राज्य में  फ्लोराईड प्रभावित क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने एवं फ्लोरोसिस मुक्त राजस्थान के उद्देश्य  को लेकर  जल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन के सभा कक्ष में मगंलवार को  राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों की कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में यूनिसेफ-राजस्थान, ईनरेम फाण्डेशन, सर रतन टाटा ट्रस्ट, नन्दन निलेकनी की संस्था र्अघयम, पी.एस.आई. देहरादून, वॉटर एड, समरथ ट्रस्ट, एम.एन.आई.टी के प्रतिनिधि तथा अटल ईनोवेशन के अवार्ड से सम्मानित फाण्डेशन फॉर ऍन्वायरमेन्टल मॉनिटरिंग, बैंगलोर आदि उपस्थित थे। सभी ने राजस्थान राज्य को फ्लोरोसिस मुक्त करने हेतु अपने विचार रखे तथा राजस्थान के लिए अपनी सेवाएं देने हेतु अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की। 

 

कार्यशाला की अध्यक्षता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियन्ता (विशिष्ठ परियोजना)  सी.एम. चौहान, द्वारा की गई तथा कार्यक्रम का संचालन एवं भविष्य का रोडमैप बनाने के लिए रूप रेखा डब्लू.एस.एस.ओ.के निदेशक श्री अरूण श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत की गई। कार्यशाला में राष्ट्रीय विशेषज्ञों सहित लगभग 50 प्रनिधियों एवं विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य में  फ्लोराईड प्रभावित गॉवों की संख्या सर्वाधिक है। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा पिछले काफी वर्षो से फ्लोरोसिस प्रबन्धन हेतु कार्य किया जा रहा है तथा प्रभावित गांवों एवं ढांणियों में डी.एफ.यू. संयत्र लगाए जा रहे हैं।

 

इसी कड़ी में डब्लू.एस.एस.ओ. एवं यूनिसेफ के संयुक्त प्लॉन के अन्तर्गत ईनरेम फाण्डेशन द्वारा डूॅंगरपुर जिले में किए गए कार्य के प्रभाव को देखते हुए चार जिलों डूगरपुर, जालोर, सिरोही और राजसमंद हेतु एक विस्तृत परियोजना राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन की अधिशासी कमेटी में सैद्वन्तिक रूप से स्वीकृत भी हो चुकी है। इस परियोजना प्रस्ताव को मुख्य रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, कृषि, वॉटरशैड एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के संयुक्त प्रयासों से क्रियान्वित किया जाएगा।

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा जल एवं स्वच्छता सहायोग संगठन के माध्यम से यूनिसेफ के साथ स्टेट वॉटर क्वालिटि टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है जिसके द्वारा राज्य के जल गुणवत्ता के कार्यक्रम क्रियान्वित किए जाएगें।